संसद में कामचोरी का रिकॉर्ड
संसद में कामचोरी का रिकॉर्ड ,का पहले मतलब समझना होगा ,
तभी इसकी चर्चा सार्थक होगी ।
दोस्तों आप सभी जानते हैं कि संसद हमारे देश की सबसे बड़ी संस्था है।
या फिर यह कह लीजिए कि संसद देश की सबसे बड़ी पंचायत है ,
जहां पर देश के कोने-कोने से जनप्रतिनिधि चुनकर आते हैं ।
संसद के तीन भाग होते हैं यह सभी जानते हैं ।
पहला भाग राष्ट्रपति, दूसरा भाग राज्य सभा, तीसरा भाग लोक सभा होती है ।
राष्ट्रपति का चुनाव पांच साल के लिए होता है ,
तो राज्य सभा के सदस्य छः वर्षों के लिए और लोक सभा के सदस्य पांच सालों के लिए चुने जाते हैं ।
संसद का मुख्य काम देश के लिए कानून बनाना होता है ।
कानून बनाने के पहले संसद में इसकी चर्चा की जाती है ।
इस चर्चा में भाग लेना तथा अपने क्षेत्र की समस्या आदि बताना,
सांसदों की जिम्मेदारी होती है ।
कानूनी चर्चा के बाद उस कानून को अंतिम मंजूरी राष्ट्रपति देता है,
और इस तरह देश में एक नया कानून आ जाता है ।
कामचोरी का मतलब क्या है?
बहुत साल पहले मैने एक आंकड़ा पढा था कि संसद में जब सत्र चालू होता है,
तब प्रति सेकेंड 9 हजार रुपए से अधिक का खर्च आता है ।
यह तथ्य मैने बहुत पहले लिखी अनिल चमड़िया की किताब ,
‘भारतीय संसद’ को पढने के दौरान पढा था।
यह बात 6 वें वेतन आयोग के पहले की है आज 7 वां लागू है ।
मैने इस किताब में पढा था कि संसद की कार्यवाही में प्रति सेकेंड हजारों रुपए खर्च होते हैं ।
काफी पहले यह आंकड़ा 9 हजार प्रति सेकंड था ।
संसद की कामचोरी को समझिए
संसद की कामचोरी का मतलब होता है कि जब हमारे जनप्रतिनिधि संसद में हंगामा करते हैं
तो कोई काम नहीं होता लेकिन संसद चलने में लाखों रुपए खर्च होते रहते हैं ।
कुछ सांसद तो संसद भवन की कैंटीन में समय बिता देते हैं,
लेकिन संसद की कार्यवाही में भाग नहीं लेते ।
दोस्तों जब संसद की कार्यवाही चल रही होती है,
लेकिन देश की आम जनता के लिए कोई काम नहीं हो पाता ,
तो यह देश के लिए बेहद घाटे का सौदा होता है ।
संसद की कार्यवाही में खर्च होने वाला पैसा देश का होता है ,
जो वास्तव में संसद में इस लिए खर्च किया जाता है ,
ताकि संसद देश की जनता के हित में बहस कर सके या कानून बना सके ।
लेकिन याद रखें जब इस पैसे से कोई काम नहीं होता
तो यह संसद की कामचोरी होती है ।
यानी जब संसद में हंगामा करने से समय की बर्बादी होती है लेकिन ,
कोई देश हित में काम नहीं होता तो इसे हम संसद की कामचोरी कहते हैं ।
संसद की कामचोरी का नया रिकॉर्ड
आप सभी को ताज्जुब होगा कि अभी अभी,
मोदी सरकार के बजट सत्र का आखिरी सत्र गुजरा है ।
जिसमें संसद की कामचोरी के साक्षात दर्शन होते हैं ।
कामचोरी के आंकड़ों की बात करें तो लोक सभा में ,
कुल 127 घंटे 45 मिनट और राज्य सभा में 124 घंटे का समय बर्बाद हुआ है ।
या संसद में कामचोरी हुई है ।
आप इस बात का ख्याल रखें कि संसद की कार्रवाई में प्रति सेकंड लाखों रुपए का खर्च आता है ।
संसद की कामचोरी देखिए
संसद की कामचोरी का नमूना आपको अभी अभी समाप्त हुए,
मोदी सरकार के आखिरी बजट सत्र में देखने को मिल जाएगा ।
याद रखें इस बजट सत्र के दो भाग हैं ।
पहला भाग 29 जनवरी से 9 फरवरी तक चला तो दूसरा 5 मार्च से 6 अप्रैल तक ।
आश्चर्य की बात है कि इस दौरान संसद की बैठक में खर्च हुआ समय कम है ,
जबकि हंगामे में खर्च होने वाला समय बहुत भयंकर ज्यादा है ।
इस दौरान संसद में लोक सभा और राज्य सभा में काम हुआ क्रमशः 34 घंटे 5 मिनट तथा 44 घंटे ।
जब कि हंगामें में पैसा बर्बाद करने वाला समय था क्रमशः 127 घंटा 45 मिनट तथा 121 घंटा ।
विशेषज्ञ बताते हैं कि पिछले बीस साल में यह सर्वाधिक संसद की कामचोरी है ।
निष्कर्ष यही है कि हमारी संसद हमारे देश की सबसे बड़ी पंचायत है ।
यहां देश के प्रत्येक व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाले हमारे माननीय सांसद ,
देश के लिए कानून बनाने हेतु इकट्ठा होते हैं ।
देश के मसलों पर चर्चा करने हेतु इन्हें देश का आम मतदाता,
चुनकर और बड़े ही अरमान से भेजता है लेकिन ,
अफसोस कि मेरी पार्टी तेरी पार्टी के शोर के चलते यह ,
उद्देश्य भूल जाते हैं और केवल हंगामा याद रह जाता है ।।
धन्यवाद
लेखक : के पी सिंह
07042018