सूरज की सैर को दुनिया का पहला यान
सूरज की सैर को दुनिया का पहला यान इसका मतलब यह है कि,
जिस सूरज के चारों ओर भयंकर गर्मी का तांडव हर समय जारी रहता है।
अब वह भीषण गर्म क्षेत्र भी मानव की पहुंच से बाहर नही रहा ।
मनुष्य ने अब इतना साहस बटोर लिया है कि जिस सूरज के पास,
सैकड़ों मील पहले तक कोई जाने की सोच नहीअंहै सकता था।
आज वही मनुष्य सूरज के नजदीक जाने की सोचने लगा है ।
बल्कि सूरज के घर में घुस कर सूरज के हर उस रहस्य को जानना समझना चाहता है
कि आखिर इस आग के गोले की सच्चाई क्या है ?
ऐसा भी नहीं है कि इसके पहले इस दिशा में मनुष्य ने सोचा नहीं था ।
कई बार सोचा है ।
कई तरह से सोचा है ।
पर हां जो इस बार सोचा है वह कभी नहीं सोचा है ।
तो आइए जानते हैं कि आखिर मनुष्य अपनी इस इच्छा को कैसे पूरी करने की सोच रहा है?
सूरज की सैर को बेताब यान
सूरज की सैर को बेताब यान जिसका नाम पार्कर सोलर प्रोब यान है ।
इस को नासा 31 जुलाई 2018 को लांच करेगा ।
सूरज की सैर को जाने वाला पहला यान अर्थात सोलर प्रोब यान ,
कुल 7 वर्ष तक सूर्य के बाहरी वायु मंडल का अध्ययन करेगा ।
यह मानव इतिहास का पहला अंतरिक्ष सूर्य मिशन है ।
इसे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा लांच करेगी ।
यह अंतरिक्ष यान फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लांच होगा ,
यहीं फिल्म इसके अंतिम दौर का परीक्षण चल रहा है।
फिलहाल इसे दुनिया के सबसे बड़े राकेट डेल्टा 4 से जोड़ा जा रहा है ।
वैज्ञानिकों के अनुसार लांच के बाद यह सीधा सूर्य की ओर जाएगा ।
यह सूर्य के करोना के करीब पहुंच कर अपना अध्ययन सम्पन्न करेगा ।
इस यान का मुख्य लक्ष्य सौर तूफान के सटीक कारणों का पता लगाना है ,
जिससे धरती पर पड़ने वाले प्रभाव को कुछ कम किया जा सके ।
विदित हो कि सौर तूफान वह है जिसकी वजह से सेटेलाइट काम करना बंद कर देता है ।
सौर तूफान की प्रथम कल्पना
सौर तूफान के बारे में दुनिया को पहली बार जिस व्यक्ति ने ,
परिचित कराया था उसका नाम है यूजीन पार्कर ।
विदित हो कि 1958 में यूजीन पार्कर ने पहली बार बताया था कि सूर्य पर तूफान आते हैं ।
पार्कर के नाम पर ही पार्कर प्रोब यान का नाम रखा गया है ।
ध्यान देने की बात है सूर्य के जितने करीब यह यान जाएगा आज तक कोई भी मानव निर्मित वस्तु नहीं गई ।
आपको बता दें इस नजदीकी के बाद भी यान सूर्य से 98लाख किलो मीटर दूर रहेगा ।
यान की तकनीक
सूरज की यात्रा को जाने वाला पहला यान आखिरकार ,
किस तकनीक के जरिए कामयाब होगा?
अगर आप का यही अगला सवाल है तो इसका उत्तर यह है कि ,
चूंकि पार्कर यान को खतरनाक विकिरण का सामना करना पड़ेगा,
इसलिए इसमें ईंधन भरने से पहले थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम या हीट शील्ड जोड़ी जाएगी ।
यह TPS तकनीक बेहद अहम है ,क्योंकि इसके दम पर ही यान ,
सूर्य के इतने करीब जाकर अपना उद्देश्य पूरा कर सकेगा ।
अधिक तापमान के कारण ही अभी तक सूर्य के करीब यान नहीं भेजे जा सके ।
इस टीपीएस तकनीक के दम पर यह यान सूर्य के करोना का अध्ययन करेगा ।
फिर भी यह सूर्य से 98 लाख किलोमीटर दूर रहेगा ।
इस प्रोजेक्ट के मैनेजर के अनुसार यह अद्भुत यान मील के एक नहीं कई पत्थर गाड़ेगा ।
वर्तमान में सूर्य का अध्ययन करने वाले सेटेलाइट
आपको बता दें कि पार्कर यान यद्यपि सूर्य के सबसे ज्यादा नजदीक जाने वाला यान है ,
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आज तक ,
सूर्य का किसी प्रकार का कोई अध्ययन नहीं हुआ ।
सच्चाई यह है कि इस समय दस सेटेलाइट सूर्य का अध्ययन कर रहे हैं ।
धरती की कक्षा से या सौर मंडल में अन्य ग्रहों के करीब चक्कर काट रहे,
दस अंतरिक्ष यान या टेलिस्कोप हैं ,जो सूर्य का अध्ययन करते हैं ।
जैसे डीप स्पेस क्लाइमेट आबजरवेटरी, सोलर डायना मिक्स ,
पिकारड,सोलर मॉनीटरिंग,आबजर वेटरी ,सोलर टेरिस टरियल ,रिलेशन आबजरवेटरी आदि ।
लेकिन इनमे से कोई भी पार्कर सोलर प्रोब की तरह नहीं है ।
इससे पहले जर्मनी का हेलिअस यान सूर्य के 4•30 करोड़ किलो करीब गया था ।
महत्वपूर्ण तथ्य
●पार्कर सोलर प्रोब 31 जुलाई 2018 को लांच होगा ।
●यह सूर्य का अध्ययन करेगा सूर्य पृथ्वी से 14•96 करोड़ किलो की दूरी पर स्थित है ।
●सूर्य के समीप यह 98 लाख किलोमीटर तक जाएगा ।यानी यह सूर्य की सतह से 98 लाख किमी दूर रहेगा ।
●सूर्य की सतह का तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस है ।
●सूर्य के करोना का ताप 10 लाख से 1 करोड़ डिग्री सेल्सियस है ।
●इस यान का वजन 685 किलोग्राम होगा ।
●इसकी लम्बाई 1 मीटर तथा चौड़ाई 3 मीटर है ।उंचाई ढाई मीटर है ।
●सूर्य के नजदीक आने पर यह 343 वाट की शक्ति प्रदान करेगा।
धन्यवाद
लेखक के पी सिंह
11042018
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बहुत ही अच्छी और ताजा जानकारी विस्तारपूर्वक मिली। अगर सहेज कर रखी जाए तो भविष्य में सामान्य ज्ञान परीक्षा में सहायक होगी। धन्यवाद।
Good
मनुष्य सूरज के इतना करीब पोहच जायेगा यह सोचके भी काल्पनिक लगता है I
बेहद महत्वपूर्ण जानकारी है
very good post.